कोरोना की दूसरी लहर के साथ ही हम सभी के लिए एक नई महामारी ने चुनौतियां बढ़ा दी है। इस नई महामारी का नाम है ब्लैक फंगस। पिछले कई दिनों से आप ब्लैक फंगस संक्रमण का नाम सुन रहे होंगे। देश में ब्लैक फंगस के अब तक करीब 11 हज़ार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। राजस्थान के सभी 33 जिलों से भी 1345 मरीज और 50 मौतें दर्ज हुई है।

ब्लैक फंगस खासकर कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों में साइड इफेक्ट्स के रूप में सामने आ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना संक्रमण के समय हाई रिस्क वाली दवाइयों (स्टेरॉयड) के उपयोग से यह संक्रमण फैल रहा है। ब्लैक फंगस में आंखों की रोशनी चली जाती है, कईं मामलों में तो व्यक्ति की मृत्यु तक हो जा रही है।

ऐसे में हम सभी के लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर ब्लैक फंगस क्या होता है ? ब्लैक फंगस के लक्षण क्या है ? ब्लैक फंगस से किन लोगों को अधिक खतरा है और ब्लैक फंगस का उपचार क्या है?

क्या होता है ब्लैक फंगस?

ब्लैक फंगस (Mucormycosis ) एक दुर्लभ फंगस इंफेक्शन है जो तेजी से नाक, आंख, दिमाग व साइनस में फैलता है।
यह म्यूकोर्मिसेट्स के रूप में जाने वाले मोल्डों के समूह के कारण होता है। विशेषज्ञों के अनुसार ब्लैक फंगस पहले से ही वातावरण में मौजूद है, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण कमजोर इम्यून सिस्टम के चलते यह लोगों को अपना शिकार बना रहा है।

लक्षण

– आंखों में सूजन, आंखें लाल होना, आंखें खोलने व बंद करने में परेशानी, डबल विजन, दिखाई कम या नहीं दिखना।
– नाक बंद होना व नाक से बदबूदार पानी / खून आना।
– चेहरे पर सूजन/सिर दर्द/सुन्नपन होना।
– दांतों में दर्द, चबाने में परेशानी, उल्टी व खांसने में खून आना।
– बुखार, खांसी, साँस लेने में तकलीफ़, खून की उल्टी होना आदि।

बचाव के तरीके

– ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखना चाहिए।
– कोविड के इलाज में स्टेरॉयड का उचित उपयोग।
– ऑक्सीजन ह्यूमिडिफायर में साफ पानी का उपयोग।
– धूल वाली जगह पर मास्क पहनकर रखें।
– मिट्टी, काई और खाद के सम्पर्क में आने से बचें।

ब्लैक फंगस से किन लोगों को खतरा?

– कोविड 19 से संक्रमित व ठीक हुए लोग।
– अनियंत्रित डायबिटीज वाले मरीज ।
– जिनके इलाज में अत्यधिक स्टेरॉयड का उपयोग हुआ हो।
– एड्स, कैंसर, किडनी की दवाइयां लेने वाले रोगी।

ब्लैक फंगस का उपचार

ब्लैक फंगस के मामलों में इलाज के लिए एंटी-फंगल दवा एम्फोटेरिसिन-बी का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन इसे चिकित्सकीय सलाह से लेना चाहिए। अगर आप में इस तरह के कोई लक्षण नजर आते हैं तो आपको चिकित्सक को दिखाना चाहिए।

ब्लैक फंगस के अलावा कोरोना की तीसरी लहर का खतरा भी देश में बढ़ता जा रहा है। अकेले राजस्थान में ही 7 हज़ार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। ऐसे में बच्चों में कोरोना के लक्षण दिखते ही उनका इलाज बहुत जरूरी है। ऐसे में यह भी जानना जरूरी हो जाता है कि अगर हम प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराना चाहते हैं तो कौनसा हॉस्पिटल अच्छा रहेगा।

उदयपुर (राजस्थान ) के हिरण मगरी सेक्टर 4 एरिया में स्थित चौधरी हॉस्पिटल शहर का प्रमुख मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल है। 2005 में स्थापित डॉ.चौधरी हॉस्पिटल में संभाग भर से हज़ारों मरीज इलाज के लिए आते हैं एवं ठीक होकर घर जाते हैं। चौधरी हॉस्पिटल में उचित दरों में इलाज व जांच सुविधा उपलब्ध है। उदयपुर का डॉ.चौधरी हॉस्पिटल क्षेत्र के प्रमुख अस्पतालों में से एक है, जहां कोरोना रोगियों की उचित देखभाल व परस्पर उपचार किया जा रहा है। कोविड 19 की पहली से लेकर अब तक डॉ.चौधरी हॉस्पिटल का रिकॉर्ड कोरोना के इलाज में अन्य बीमारियों की तरह अच्छा साबित हुआ है। ऐसे में आप कोरोना के इलाज के लिए चौधरी हॉस्पिटल का चुनाव कर सकते हैं।

डॉ.चौधरी हॉस्पिटल की विशेषताएं

– एनएबीएच प्रमाणित
– स्वास्थ्य सेवाओं में 15 साल का अनुभव
– प्रति वर्ष 4 लाख+जांचें
– विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम
– सटीक परिणाम
– अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक लैब्स
– कोविड केयर यूनिट

साथ ही कोरोना महामारी को देखते हुए डॉ.चौधरी हॉस्पिटल की पूरी टीम को कोरोना वैक्सीन लगाई जा चुकी है। ऐसे में संक्रमण से बचाव की दृष्टि भी यह श्रेष्ठतम हॉस्पिटल है।