सर्दी का मौसम शुरू होते ही जुकाम और खांसी से जुड़ी बीमारियों के बढ़ने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। आमतौर पर हम जुकाम और खांसी से तो ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो सर्दी में अपना प्रकोप ज्यादा दिखाती हैं। उन्हीं में से एक नाम है निमोनिया संक्रमण।
निमोनिया एक ऐसी बीमारी है जो अधिकतर बच्चोंं में होती है और इससे दुनियाभर में हर साल हज़ारों बच्चों की मृत्यु भी हो जाती है। हालांकि व्यस्क और वृद्धजनों को भी निमोनिया हो सकता है। निमोनिया होने का अधिक खतरा 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों और 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में ज्यादा रहता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसकी समय पर पहचान और उपचार नहीं हो तो यह जानलेवा भी हो सकती है। ऐसे में हमारे लिए इस बीमारी के बारे में जानना आवश्यक है ताकि हम इसके लक्षणों की पहचान कर सके और समय पर उपचार भी ले सकें।
निमोनिया क्या होता है?
फेफड़ों में संक्रमण का हो जाना निमोनिया कहलाता है। इससे फेफड़े में सूजन की स्थिति बन जाती है। निमोनिया मुख्य रूप से विषाणु और जीवाणु के संक्रमण से होता है। यह वायरस, बैक्टीरिया और पेरासाइट्स के कारण भी हो सकता है। इसके अलावा इसके कम तौर पर अन्य सूक्ष्मजीव, कुछ दवाओं और दूसरे रोगों के संक्रमण से भी होने की संभावना रहती है।
साथ ही अगर निमोनिया को बढ़ावा देने वाली परिस्थितियों और कारकों पर बात करें तो धूम्रपान, रोगी प्रतिरोधक क्षमता में कमी, अत्यधिक शराब पीना, फेफड़ों से जुड़ा गंभीर रोग, गंभीर गुर्दा रोग और यकृत रोग शामिल हैं। इसके अलावा कुछ दवाओं जैसे प्रोटॉन-पंप इन्हिबटर्स या H2 ब्लॉकर्स के उपयोग से भी निमोनिया का खतरा बढ़ने की संभावना रहती है। वृद्धावस्था में भी निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा अस्थमा (दमा), हृदय रोग, ब्रोन्किइक्टेसिस आदि से पीड़ित मरीजों में भी निमोनिया का जोखिम ज्यादा रहता है।
निमोनिया कितने प्रकार का होता है?
निमोनिया पॉंच प्रकार का होता है, जो इस प्रकार है।
- बैक्टीरियल निमोनिया
- वायरल निमोनिया
- माइकोप्लाज्मा निमोनिया
- एस्पिरेशन निमोनिया
- फंगल निमोनिया
निमोनिया संक्रमण के लक्षण क्या है?
किसी भी बीमारी की पहचान के लिए उसके लक्षणों की जानकारी होना बहुत जरूरी है। ऐसे में निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी के लक्षण भी समय पर पहचान लिए जाए तो उपचार में आसानी रहती है। जानिएं निमोनिया के लक्षण।
निमोनिया संक्रमण के प्रमुख लक्षणों में खांसी, सीने में दर्द, बुखार और सांस लेने में कठिनाई होती है। साथ ही अगर आपका तापमान 105 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच गया है तो यह निमोनिया का संकेत हो सकता है।
- सामान्य तौर पर फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं जो बाद में धीरे धीरे या फिर एक दम से बढ़ने लगते हैं।
- रोगी में कमजोरी आ जाती है और थकान महसूस होती है।
- रोगी को बलगम वाली खांसी आती है।
- रोगी को बुखार के साथ पसीना आता है कंपकंपी महसूस होती है।
- सांस लेने में कठिनाई होने से रोगी तेज या जोर जोर से सांस लेने लगता है।
- रोगी को बेचैनी होती है।
- रोगी को भूख लगनी कम या बंद हो जाती है।
- बीपी का कम हो जाना
- खॉंसी में खून आना
- धड़कन का तेज हो जाना
- मतली और उल्टी आना
बच्चों में भी निमोनिया के लक्षण इसी प्रकार समान रहते हैं।
निमोनिया की जांचें और उपचार
सामान्य तौर पर निमोनिया के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। अगर हम निमोनिया की जांच और उपचार पर बात करें तो डॉक्टर के द्वारा रोगी को छाती का एक्सरे करवाने का कहा जाता है। साथ ही स्टेथोस्कोप से फेफड़ों की गति सुनने पर डॉक्टर को फेफड़ोंं से कुछ आवाज आती हुई भी सुनाई देती है। इसके अलावा डॉक्टर्स के द्वारा खून की जांच, सीटी स्कैन, बलगम की जांच, ब्रोंकोस्कोपी आदि भी करवाने की सलाह दी जाती है।
अगर हम निमोनिया संक्रमण के उपचार की बात करें तो यह बीमारी की स्थिति, रोगी की उम्र पर भी निर्भर करता है। हालांकि डॉक्टर्स के द्वारा एंटीबायोटिक्स, खांसी कम करने की दवाएं, बुखार एवं दर्द कम करने की दवाएं दी जाती हैं ताकि रोगी को आराम मिल सके। इसके अलावा कुछ घरेलू उपायों के द्वारा भी रोगी को राहत देने का कार्य किया जाता है।
निमोनिया संक्रमण होने पर अस्पताल में भर्ती कब होना चाहिए?
चिकित्सकीय परामर्श के बाद अगर डॉक्टर को लगता है कि आपको अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिए तब वे भर्ती होने की सलाह देते हैं। हालांकि इन विभिन्न परिस्थितियों में रोगी के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना रहती है, वह इस प्रकार हैं।
- अगर रोगी की आयु 5 वर्ष से कम एवं 65 वर्ष से अधिक हो।
- यदि रोगी में स्थान, समय एवं व्यक्ति को लेकर भ्रम की स्थिति हो।
- अगर सांस लेने में अत्यधिक तकलीफ हो।
- अगर रोगी का तापमान 105 डिग्री फारेनहाइट तक हो।
- यदि हार्ट बीट की दर 50 से कम या 100 से अधिक हो।
निमोनिया संक्रमण से बचाव के तरीके क्या है?
प्रथम तौर पर जन्म के बाद टीकाकरण के माध्यम से निमोनिया को रोका जा सकता है। इसमें शिशुओं के लिए PVC13 और बच्चों व वयस्कों के लिए PPSV23 नामक टीके लगाए जाते हैं। निमोनिया से बचाव के लिए दूसरे तरीकों में धूम्रपान से दूरी, साफ सफाई रखने, मास्क पहनने, पौष्टिक आहार लेने, व्यायाम, योग के माध्यम से निमोनिया से बचा जा सकता है।