आज के समय में फिटनेस का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। हर कोई स्वस्थ और फिट रहना चाहता है, जिसके लिए घंटों जिम में पसीना बहाया जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जरूरत से ज्यादा वर्कआउट आपके शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है?

जी हां, अत्यधिक व्यायाम से मांसपेशियों को गंभीर क्षति पहुंच सकती है, जिससे रबडोमायोलिसिस (Rhabdomyolysis) नामक स्थिति उत्पन्न होने की संभावना रहती है। यह एक ऐसी समस्या है जिसमें मांसपेशियां नष्ट होने लगती हैं, और उनके अंदर मौजूद तत्व रक्त प्रवाह में मिल जाते हैं, जो शरीर के अन्य अंगों, खासकर किडनी के लिए घातक साबित हो सकता है। इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि रबडोमायोलिसिस क्या है, इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपाय क्या हैं।

रबडोमायोलिसिस (Rhabdomyolysis) क्या होता है?

रबडोमायोलिसिस एक मेडिकल कंडीशन है जिसमें मांसपेशियों की कोशिकाएं टूटने लगती हैं। मांसपेशियों में मौजूद मायोग्लोबिन नामक प्रोटीन, रक्त में घुलकर किडनी तक पहुंच जाता है। अगर यह प्रोटीन अत्यधिक मात्रा में रक्त प्रवाह में आ जाए, तो किडनी इसे फिल्टर करने में असमर्थ हो जाती है, जिससे किडनी फेल्योर तक हो सकता है। यह स्थिति उन लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है जो अत्यधिक व्यायाम करते हैं, डिहाइड्रेटेड रहते हैं या फिर सेहत बनाने वाली दवाइयों का सेवन करते हैं।

रबडोमायोलिसिस (Rhabdomyolysis) के कारण क्या हैं?

रबडोमायोलिसिस कई कारणों से हो सकता है, जिनमें से कुछ मुख्य निम्नलिखित हैं।

अत्यधिक वर्कआउट और ओवर-ट्रेनिंग – शरीर की क्षमता से ज्यादा वर्कआउट करने से मांसपेशियों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे वे क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। अगर कोई व्यक्ति बिना पर्याप्त विश्राम किए लगातार एक्सरसाइज करता है, तो इसका खतरा बढ़ जाता है।

डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) – जब शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है, तो मांसपेशियों को सही पोषण नहीं मिल पाता, जिससे वे जल्दी थक जाती हैं और टूटने लगती हैं। पसीने के जरिए इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन भी बिगड़ सकता है, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

दवाइयों और स्टेरॉयड्स का अधिक सेवन – कुछ स्टेरॉयड्स और हाई डोज़ पेनकिलर मांसपेशियों पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे रबडोमायोलिसिस हो सकता है।

चोट या शारीरिक आघात – किसी दुर्घटना, मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ने या लंबे समय तक स्थिर बैठे रहने से भी मांसपेशियों में रक्त संचार प्रभावित हो सकता है, जिससे यह समस्या हो सकती है।

हीट स्ट्रोक और अत्यधिक गर्मी में व्यायाम – बहुत अधिक गर्मी में व्यायाम करने से शरीर का तापमान असामान्य रूप से बढ़ सकता है, जिससे मांसपेशियां जल्दी थक जाती हैं और टूटने लगती हैं।

इंफेक्शन या मेडिकल कंडीशन्स – कुछ वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन भी मांसपेशियों को प्रभावित कर सकते हैं और उन्हें नष्ट करने का कारण बन सकते हैं।

रबडोमायोलिसिस के लक्षण क्या क्या होते है?

रबडोमायोलिसिस (Rhabdomyolysis) के लक्षण धीरे-धीरे या अचानक विकसित हो सकते हैं। इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं।

मांसपेशियों में तेज दर्द और सूजन – आमतौर पर यह दर्द व्यायाम के बाद कई घंटों या दिनों तक बना रह सकता है।

पेशाब का रंग गहरा या लाल-भूरा होना – यह संकेत देता है कि मायोग्लोबिन रक्त में मिल चुका है और किडनी इससे प्रभावित हो रही है।

शरीर में अत्यधिक कमजोरी और थकान – व्यक्ति को सामान्य से अधिक थका हुआ महसूस होना।

मतली, उल्टी और चक्कर आना – यह लक्षण शरीर में टॉक्सिन्स के जमा होने के कारण होते हैं।

दिल की धड़कन का तेज़ होना और बुखार आना – जब शरीर तनाव में होता है, तो हार्ट रेट बढ़ सकता है और बुखार भी आ सकता है।

रबडोमायोलिसिस का उपचार

अगर रबडोमायोलिसिस के लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। हम इन सावधानियों को अपनाकर रबडोमायोलिसिस के खतरे से बच सकते हैं।

पर्याप्त पानी पिएं – हाइड्रेशन सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह रक्त से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है। इसलिए पर्याप्त पानी पिएं।

आराम करें और ओवर-ट्रेनिंग से बचें – मांसपेशियों को रिकवरी के लिए समय दें और अत्यधिक वर्कआउट से बचें। पर्याप्त आराम करें।

इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बनाए रखें – शरीर में सोडियम, पोटैशियम और कैल्शियम का संतुलन बनाए रखना जरूरी है।

मेडिकल टेस्ट कराएं – ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट के जरिए डॉक्टर यह जांचते हैं कि मायोग्लोबिन और क्रिएटिन किनेस (CK) का स्तर कितना बढ़ा हुआ है।

रबडोमायोलिसिस कितना गंभीर हो सकता है?

अगर रबडोमायोलिसिस (Rhabdomyolysis)की समस्या का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह किडनी फेल्योर, दिल की समस्याएं, और सांस लेने में कठिनाई जैसी गंभीर स्थितियों का कारण बन सकता है। इसलिए लक्षण महसूस होने पर, इसे हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

फिटनेस और स्वास्थ्य जरूरी हैं, लेकिन अति किसी भी चीज़ की अच्छी नहीं होती। वर्कआउट हमेशा संतुलित और सेहत को ध्यान में रखकर विशेषज्ञ के निर्देशन में ही करें। शरीर की क्षमता को समझें और किसी भी प्रकार के असामान्य लक्षण नजर आने पर सावधानी बरतें। रबडोमायोलिसिस के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।